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Literature Under This Category | ||||
मैथिलीशरण गुप्त की बाल-कवितायें - मैथिलीशरण गुप्त | Mathilishran Gupt | ||||
मैथिलीशरण गुप्त यद्यपि बालसाहित्य की मुख्यधारा में सम्मिलित नही तथापि उन्होंने कई बाल-कविताओं से हिन्दी बाल-काव्य को समृद्ध किया है। उनकी 'माँ, कह एक कहानी' कविता के अतिरिक्त 'सर्कस' व 'ओला' बाल-कविताएँ अत्यंत लोकप्रिय रचनाएं हैं। यहाँ उनकी बाल-कविताओं को संकलित किया गया है। |
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सरकस | बाल-कविता - मैथिलीशरण गुप्त | Mathilishran Gupt | ||||
होकर कौतूहल के बस में, |
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चूहे की दिल्ली-यात्रा - रामधारी सिंह दिनकर | Ramdhari Singh Dinkar | ||||
चूहे ने यह कहा कि चुहिया! छाता और घड़ी दो, |
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स्कूल में लग जाये ताला | बाल कविता - जयप्रकाश मानस | Jaiprakash Manas | ||||
अब से ऐसा ही हो जाये |
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चिट्ठी | बाल कविता - प्रकाश मनु | Prakash Manu | ||||
चिट्ठी में है मन का प्यार |
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छुट्कल मुट्कल बाल कविताएं - दिविक रमेश | ||||
दिविक रमेश की बाल कविताएं । |
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बच्चो, चलो चलाएं चरखा - आनन्द विश्वास (Anand Vishvas) | ||||
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बन जाती हूं - दिविक रमेश | ||||
चींचीं चींचीं |
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एक हमारी धरती सबकी - द्वारिकाप्रसाद माहेश्वरी | ||||
एक हमारी धरती सबकी |
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सब की दुनिया एक - | ||||
धरती है हम सब की एक |
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हिन्दी ही अपने देश का गौरव है मान है - डा. राणा प्रताप सिंह गन्नौरी 'राणा' | ||||
पश्चिम की सभ्यता को तो अपना रहे हैं हम, |
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किसे नहीं है बोलो ग़म - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड | ||||
साँसों में है जब तक दम |
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लड्डू ले लो | बाल-कविता - माखनलाल चतुर्वेदी | ||||
ले लो दो आने के चार |
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बया | बाल-कविता - महादेवी वर्मा | Mahadevi Verma | ||||
बया हमारी चिड़िया रानी। |
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चिड़िया का घर | बाल-कविता - हरिवंश राय बच्चन | Harivansh Rai Bachchan | ||||
चिड़िया, ओ चिड़िया, |
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बुढ़िया - पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी | ||||
बुढ़िया चला रही थी चक्की |
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काठ का घोड़ा - मोहनलाल महतो वियोगी | ||||
चलता नहीं काठ का घोड़ा! |
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नया साल आया - जयप्रकाश मानस | Jaiprakash Manas | ||||
नया साल आया |
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अगर कहीं मैं पैसा होता ? - सोहनलाल द्विवेदी | Sohanlal Dwivedi | ||||
पढ़े-लिखों से रखता नाता, |
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चंदा मामा - अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' | Ayodhya Singh Upadhyaya Hariaudh | ||||
चंदा मामा, दौड़े आओ |
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नटखट चिड़िया - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड | ||||
चीं-चीं करके गाती चिड़िया |
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अक्कड़ मक्कड़ - भवानी प्रसाद मिश्र | Bhawani Prasad Mishra | ||||
अक्कड़ मक्कड़, धूल में धक्कड़ |
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मेरा भी तो मन करता है - डॉ. जगदीश व्योम | ||||
मेरा भी तो मन करता है |
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ऐसा वर दो - त्रिलोक सिंह ठकुरेला | ||||
भगवन् हमको ऐसा वर दो। |
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होली आई रे | बाल कविता - प्रकाश मनु | Prakash Manu | ||||
चिट्ठी में है मन का प्यार |
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जिद्दी मक्खी - दिविक रमेश | ||||
कितनी जिद्दी हो तुम मक्खी |
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वीर तुम बढ़े चलो! धीर तुम बढ़े चलो - द्वारिकाप्रसाद माहेश्वरी | ||||
वीर तुम बढ़े चलो! धीर तुम बढ़े चलो! |
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बचपन से दूर हुए हम - डॉ. जगदीश व्योम | ||||
छीनकर खिलौनो को बाँट दिये गम |
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पापा, मुझे पतंग दिला दो - त्रिलोक सिंह ठकुरेला | ||||
पापा, मुझे पतंग दिला दो, |
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सीधा-सादा - शेरजंग गर्ग | ||||
सीधा-सादा सधा सधा है |
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कैंप गीत - डॉ. वंदना मुकेश | इंग्लैंड | ||||
इक नया भारत यहाँ बसाएंगे |
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जब बांधूंगा उनको राखी - दिविक रमेश | ||||
माँ मुझको अच्छा लगता जब |
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मुर्गे जी महाराज - सुभाष मुनेश्वर | न्यूज़ीलैंड | ||||
सुबह उठे कि दिये बाँग |
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ओला | बाल-कविता - मैथिलीशरण गुप्त | Mathilishran Gupt | ||||
एक सफेद बड़ा-सा ओला, |
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मेरी बॉल - दिविक रमेश | ||||
अरे क्या सचमुच गुम हो गई |
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शब्द शब्द जैसे हों फूल - दिविक रमेश | ||||
अच्छी पुस्तक बगिया जैसी |
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चिड़िया - त्रिलोक सिंह ठकुरेला | ||||
घर में आती जाती चिड़िया । |
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चिन्टू जी | बाल कविता - प्रकाश मनु | Prakash Manu | ||||
सब पर अपना रोब जमाते |
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आओ चलें घूम लें हम भी - दिविक रमेश | ||||
छुट्टियों के आने से पहले |
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जीवन में नव रंग भरो - त्रिलोक सिंह ठकुरेला | ||||
सीना ताने खड़ा हिमालय, |
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आओ महीनो आओ घर | बाल कविता - दिविक रमेश | ||||
अपनी अपनी ले सौगातें |
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जुगनू की टॉर्च | हास्य कविता - प्रकाश मनु | Prakash Manu | ||||
मैंने पूछा जुगनू से, |
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नई सदी के बच्चे - त्रिलोक सिंह ठकुरेला | ||||
नई सदी के बच्चे हैं हम |
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खेल महीनों का | बाल कविता - दिविक रमेश | ||||
अच्छी लगती हमें जनवरी |
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डर भी पर लगता तो है न | बाल कविता - दिविक रमेश | ||||
चटख मसाले और अचार |
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दादी कहती दाँत में | बाल कविता - प्रीता व्यास | न्यूज़ीलैंड | ||||
दादी कहती दाँत में मंजन नित कर नित कर नित कर |
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कितना अच्छा होता न तब | बाल कविता - दिविक रमेश | ||||
सब कहीं ले जा सकते हम! |
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अपनी भाषा - मैथिलीशरण गुप्त | Mathilishran Gupt | ||||
करो अपनी भाषा पर प्यार। |
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कम्प्यूटर | बाल गीत - रेखा राजवंशी | ऑस्ट्रेलिया | ||||
नहीं चाहिए मुझको ट्यूटर |
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मैं पढ़ता दीदी भी पढ़ती | बाल कविता - दिविक रमेश | ||||
कभी कभी मन में आता है |
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ईस्टर की छुट्टी | बाल कविता - रेखा राजवंशी | ऑस्ट्रेलिया | ||||
तेरी मेरी कुट्टी |
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दीदी को बतलाऊंगी मैं | बाल कविता - दिविक रमेश | ||||
बड़ी हो गई अब यह छोड़ो |
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छूमन्तर मैं कहूँ... - आनन्द विश्वास (Anand Vishvas) | ||||
छूमन्तर मैं कहूँ और फिर, |
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आरी नींद...| लोरी - अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' | Ayodhya Singh Upadhyaya Hariaudh | ||||
आरी नींद लाल को आजा। |
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चतुर चित्रकार - रामनरेश त्रिपाठी | ||||
चित्रकार सुनसान जगह में बना रहा था चित्र। |
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कोयल - सुभद्रा कुमारी | ||||
देखो कोयल काली है, पर मीठी है इसकी बोली! |
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मुन्नी-मुन्नी ओढ़े चुन्नी - द्वारिकाप्रसाद माहेश्वरी | ||||
मुन्नी-मुन्नी ओढ़े चुन्नी |
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प्रार्थना - सोहनलाल द्विवेदी | Sohanlal Dwivedi | ||||
प्रभो, |
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घास में होता विटामिन - रबीन्द्रनाथ टैगोर | Rabindranath Tagore | ||||
घास में होता विटामिन |
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चार बाल गीत - प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Prabhudyal Shrivastava | ||||
यात्रा करो टिकिट लेकर |
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पानी और धूप - सुभद्रा कुमारी | ||||
अभी अभी थी धूप, बरसने |
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जयप्रकाश मानस की दो बाल-कविताएं - जयप्रकाश मानस | Jaiprakash Manas | ||||
एक बनेंगेहम हैं बच्चेमन के सच्चे आगे कदम बढ़ाएंगे, भूले भटके राह में अटके सबको राह दिखाएंगे नहीं लड़ेंगे एक बनेंगे मिलकर 'जन गण' गाएंगे नहीं डरेंगे टूट पड़ेंगे न संकट से घबराएंगे। |
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चने का लटका | बाल-कविता - भारतेन्दु हरिश्चन्द्र | Bharatendu Harishchandra | ||||
चना जोर गरम। |
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पंछी का मन दुखता | बाल-कविता - जयप्रकाश मानस | Jaiprakash Manas | ||||
कुआं है गांव में |
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जंगल में पढ़ाई | बाल-कविता - जयप्रकाश मानस | Jaiprakash Manas | ||||
एक दिन सभी पंछी ने सोचा |
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मामू की शादी में - आनन्द विश्वास (Anand Vishvas) | ||||
मामू की शादी में हमने, खूब मिठाई खाई। |
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खेल हमारे - डा. राणा प्रताप सिंह गन्नौरी 'राणा' | ||||
गुल्ली डंडा और कबड्डी, |
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डा रामनिवास मानव की बाल-कविताएं - डॉ रामनिवास मानव | Dr Ramniwas Manav | ||||
डा रामनिवास मानव की बाल-कविताएं |
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सूरज दादा कहाँ गए तुम - आनन्द विश्वास (Anand Vishvas) | ||||
सूरज दादा कहाँ गए तुम, |
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बगीचा - आनन्द विश्वास (Anand Vishvas) | ||||
मेरे घर में बना बगीचा, |
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चलो, करें जंगल में मंगल - आनन्द विश्वास (Anand Vishvas) | ||||
चलो, करें जंगल में मंगल, |
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जलाओ दीप जी भर कर - आनन्द विश्वास (Anand Vishvas) | ||||
जलाओ दीप जी भर कर, |
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मंकी और डंकी - आनन्द विश्वास (Anand Vishvas) | ||||
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अगर सीखना कुछ चाहो तो... - आनन्द विश्वास (Anand Vishvas) | ||||
अगर सीखना कुछ चाहो तो, |
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मेरे पापा सबसे अच्छे - आनन्द विश्वास (Anand Vishvas) | ||||
मेरे पापा सबसे अच्छे, |
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नभ में उड़ने की है मन में - आनन्द विश्वास (Anand Vishvas) | ||||
नभ में उड़ने की है मन में, |
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प्रकृति विनाशक आखिर क्यों है? - आनन्द विश्वास (Anand Vishvas) | ||||
बिस्तर गोल हुआ सर्दी का, |
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प्रकाश मनु की बाल कविताएं - प्रकाश मनु | Prakash Manu | ||||
प्रकाश मनु का जन्म 12 मई, 1950 को शिकोहाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ। प्रकाश मनु बाल-साहित्य के सुपरिचित हस्ताक्षर माने जाते हैं। आपने बच्चों के लिए ढेरों पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें ‘एक था ठुनठुनिया', ‘गोलू भागा घर से' (बाल उपन्यास), ‘भुलक्कड़ पापा', 'मैं जीत गया पापा', 'तेनालीराम के चतुराई के किस्से', ‘लो चला पेड़ आकाश में', ‘इक्यावन बाल कहानियां', ‘चिन-चिन चूँ' बाल कहानियां), ‘हाथी का जूता', ‘इक्यावन बाल कविताएँ', ‘बच्चों की एक सौ एक कविताएँ' (बाल कविताएँ) पुस्तकें उल्लेखनीय हैं। |
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छन्नूजी - प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Prabhudyal Shrivastava | ||||
दाल भात रोटी मिलती तो, |
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मछली की समझाइश - प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Prabhudyal Shrivastava | ||||
मेंढक बोला चलो सड़क पर, |
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मीठी वाणी - प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Prabhudyal Shrivastava | ||||
छत पर आकर बैठा कौवा, |
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बूंदों की चौपाल - प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Prabhudyal Shrivastava | ||||
हरे- हरे पत्तों पर बैठे, |
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पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म-दिवस | बाल-दिवस - भारत-दर्शन संकलन | Collections | ||||
14 नवंबर को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म-दिवस होता है। इसे भारत में 'बाल-दिवस' (Bal Diwas) के रूप में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। नेहरूजी को 'चाचा नेहरू' के रूप में जाने जाते हैं क्योंकि उन्हें बच्चों से बहुत प्यार था। |
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