समाज और राष्ट्र की भावनाओं को परिमार्जित करने वाला साहित्य ही सच्चा साहित्य है। - जनार्दनप्रसाद झा 'द्विज'।
 
नटखट चिड़िया (बाल-साहित्य )       
Author:रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड

चीं-चीं करके गाती चिड़िया
सबका मन बहलाती चिड़िया।
फुदक-फुदक कर नाचे चिड़िया
मुनिया बैठी बाँचे चिड़िया।

बगिया में जब आती चिड़िया
पके-पके फल खाती चिड़िया।
नीचे आकर दाना चुगती
फिर झट से उड़ जाती चिड़िया।

भोर सबेरे आती चिड़िया
आहट सुन घबराती चिड़िया।
कोई पास अगर जो जाए
पल में फुर्र हो जाती चिड़िया।

-रोहित कुमार 'हैप्पी'
 न्यूज़ीलैंड
 ई-मेल: editor@bharatdarshan.co.nz

 

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