वही भाषा जीवित और जाग्रत रह सकती है जो जनता का ठीक-ठीक प्रतिनिधित्व कर सके। - पीर मुहम्मद मूनिस।
 
जंगल में पढ़ाई | बाल-कविता (बाल-साहित्य )       
Author:जयप्रकाश मानस | Jaiprakash Manas

एक दिन सभी पंछी ने सोचा
हम भी करें पढ़ाई।
सुख-दुःख की कथा बांच लें
बूझें शब्द अढ़ाई।

मोर पपीहा सुग्गा मैना
तीतर बटेर भी आए।
बरगद पर लग गई शाला
"अ" से अनार गाए।

सबसे बुद्धिमान समझ
कौआ को चुना गुरुजी।
जोड़-घटाव, गुणा-भाग की
कक्षा की गई शुरू जी।।

-- जयप्रकाश मानस

[जयप्रकाश मानस की बाल कविताएं, यश पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स दिल्ली]

 

 

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