वही भाषा जीवित और जाग्रत रह सकती है जो जनता का ठीक-ठीक प्रतिनिधित्व कर सके। - पीर मुहम्मद मूनिस।
 
बन जाती हूं (बाल-साहित्य )       
Author:दिविक रमेश

चींचीं चींचीं
कर के तो मैं
चिड़िया तो नहीं
बन जाती हूं।

चूंचूं चूंचूं
करके तो मैं
चूहा तो नहीं
बन जाती हूं।

मेंमें मेंमें
करके तो मैं
बकरी तो नहीं
बन जाती हूं।

पर सीख कर
अच्छी बातें
अच्छी लड़की
बन जाती हूं।

-दिविक रमेश

 

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