मजहब को यह मौका न मिलना चाहिए कि वह हमारे साहित्यिक, सामाजिक, सभी क्षेत्रों में टाँग अड़ाए। - राहुल सांकृत्यायन।
 
समाधान (कथा-कहानी)     
Author:फ्रेंज काफ़्का

"हाय," चूहे ने कहा, "दुनिया हर दिन छोटी होती जा रही है। शुरुआत में यह इतनी बड़ी थी कि डर गया था। भागते-भागते जब अंततः मुझे दूर दाएँ और बाएँ दीवारें दिखी तो प्रसन्नता हुई लेकिन इन दिनों ये लंबी दीवारें इतनी तेज़ी से संकरी हो गई हैं कि मैं झट से अंतिम छोर में आ पहुंचा हूँ, और वहाँ कोने में ही तो चूहेदान है, जहां मुझे जाना है।"

"तुम्हें केवल अपनी दिशा बदलने की जरूरत है।" घात लगाए बैठी बिल्ली ने समाधान सुझाया। 

ज्यों ही चूहा उस ओर घूमा, बिल्ली झट से उसे खा गयी।

-फ्रेंज काफ़्का


अनुवाद – रोहित कुमार हैप्पी
[ फ़्रेंज़ काफ़्का (Franz Kafka) एक जर्मन भाषी बोहेमियन यहूदी उपन्यासकार और लघु-कथा लेखक थे। यहाँ उनकी लघुकथा 'A Little Fable' का भावानुवाद प्रस्तुत है। ]

Previous Page  |  Index Page  |   Next Page
 
 
Post Comment
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश