शिक्षा के प्रसार के लिए नागरी लिपि का सर्वत्र प्रचार आवश्यक है। - शिवप्रसाद सितारेहिंद।
 
भवानी प्रसाद मिश्र जन्मोत्सव | 29 मार्च
   
 

29 मार्च को हिंदी साहित्यकार भवानीप्रसाद मिश्र का जन्म-दिवस होता है।

गीतफ़रोश के नाम से प्रसिद्ध भवानी प्रसाद मिश्र हिंदी-कवियों में इसलिए पहली पंक्ति में आए कि वे 'बोली' में लिखने वाले अपनी तरह के अकेले कवि थे।

"जिस तरह हम बोलते हैं, उस तरह तू लिख,
और इसके बाद भी हमसे बड़ा तू दिख।
चीज ऐसी दे कि जिसका स्वाद सिर चढ़ जाए,
बीज ऐसा बो कि जिसकी बेल बन बढ़ जाए।"

'दूसरे सप्तक' के साथ वे हिंदी के शीर्षस्थ कवियों की श्रेणी में आ गए। भवानी प्रसाद मिश्र का जन्म 29 मार्च 1913 को गांव टिगरिया, होशंगाबाद (मध्य प्रदेश) में हुआ था।

यहाँ भवानी प्रसाद मिश्र की कुछ रचनाएं प्रस्तुत की गई हैं।

 
गीत फ़रोश
जी हाँ हुज़ूर
मैं गीत बेचता हूँ
मैं तरह-तरह के
गीत बेचता हूँ
मैं क़िस्म-क़िस्म के
गीत बेचता हूँ

जाहिल मेरे बाने
मैं असभ्य हूँ क्योंकि खुले नंगे पांवों चलता हूँ
मैं असभ्य हूँ क्योंकि धूल की गोदी में पलता हूँ
मैं असभ्य क्योंकि चीरकर धरती धान उगाता हूँ
मैं असभ्य हूँ क्योंकि ढोल पर बहुत जोर से गाता

 
 
 

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