जो साहित्य केवल स्वप्नलोक की ओर ले जाये, वास्तविक जीवन को उपकृत करने में असमर्थ हो, वह नितांत महत्वहीन है। - (डॉ.) काशीप्रसाद जायसवाल।
 
उसे कुछ मिला, नहीं | बाल कविता (बाल-साहित्य )     
Author:रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड

कूड़े के ढेर से
कुछ चुनते हुए बच्चे को देख
एक चित्रकार ने
करूणामय चित्र बना डाला।

कवि ने
एक मार्मिक रचना
रच डाली ।

एक कहानीकार ने
'उसी बच्चे' पर
कालजयी
कहानी कही ।

जनता ने
प्रदर्शनी में चित्र,
मंच पर कविता,
और
पत्रिका में छपी
कहानी को ख़ूब सराहा ।

पर उस बच्चे ने चित्र, कविता और कहानी से क्या पाया?

वो अब भी लगा है...
वहीं कूड़े के ढेर से कुछ खोजने में ।

उसे कुछ मिला, नहीं !!!

- रोहित कुमार 'हैप्पी'

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