समाज और राष्ट्र की भावनाओं को परिमार्जित करने वाला साहित्य ही सच्चा साहित्य है। - जनार्दनप्रसाद झा 'द्विज'।
 
चाचा नेहरू | बाल कविता (बाल-साहित्य )     
Author:डा. राणा प्रताप सिंह गन्नौरी 'राणा'

वह मोती का लाल जवाहर,

‍‌अपने युग का वह नरनाहर ।

भोली भाली मुस्कानों पर,

करता था सर्वस्व निछावर ।

 

वह बच्चों का प्यारा चाचा,

उनका हित सोचा करता था ।

बड़े चाव से बच्चों के संग,

बच्चा बन खेला करता था ।


सौंप दिया नन्हें बच्चों को,

अपना जन्म दिवस भी उसने ।

प्यार दिखाने को बच्चों को,

युक्त ख़ूब यह सोची उसने ।

 

-डा राणा प्रताप सिंह 'राणा'

[मीठे बोल]

 

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