समाज और राष्ट्र की भावनाओं को परिमार्जित करने वाला साहित्य ही सच्चा साहित्य है। - जनार्दनप्रसाद झा 'द्विज'।
 
नेहरू चाचा | बाल-दिवस कविता (बाल-साहित्य )     
Author:भारत-दर्शन संकलन | Collections

सब नेताओ से न्यारे तुम, बच्चो को सबसे प्यारे तुम,
कितने ही तूफान आ गए, लेकिन कभी नहीं हारे तुम ।
आजादी की लड़ी लड़ाई, बिना तमक, बिना तमाचा,
                                           नेहरू चाचा ।

हम भारत के भाल बनेंगे, वीर जवाहरलाल बनेंगे,
सीखी तुमसे बहादुरी है, हम दुश्मन के काल बनेंगे।
तुमने जो सपने देखे, साकार करें हम, यह अभिलाषा,
                                          नेहरू चाचा ।

-देव्रत जोशी

[भारत-दर्शन संकलन]

 

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