मजहब को यह मौका न मिलना चाहिए कि वह हमारे साहित्यिक, सामाजिक, सभी क्षेत्रों में टाँग अड़ाए। - राहुल सांकृत्यायन।
 
प्रार्थना (बाल-साहित्य )     
Author:सोहनलाल द्विवेदी | Sohanlal Dwivedi

प्रभो,
न मुझे बनाओ हिमगिरि,
जिससे सिर पर इठलाऊँ। प्रभो, न मुझे बनाओ गंगा,
जिससे उर पर लहराऊँ।

प्रभो,
न मुझे बनाओ उपवन,
जिससे तन की छबि होऊँ।
प्रभो, बना दो मुझे सिंधु,
जिससे भारत के पद धोऊँ॥

-सोहनलाल द्विवेदी

Previous Page  | Index Page  |   Next Page
 
 
Post Comment
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश