भारतेंदु और द्विवेदी ने हिंदी की जड़ पाताल तक पहुँचा दी है; उसे उखाड़ने का जो दुस्साहस करेगा वह निश्चय ही भूकंपध्वस्त होगा।' - शिवपूजन सहाय।
 

हिन्दी के बिना हमारा कार्य नहीं चल सकता (विविध)

Author: भारत-दर्शन संकलन

अंग्रेजी के विषय में लोगों की जो कुछ भी भावना हो, पर मैं यह दावे के साथ कह सकता हूँ कि हिन्दी के बिना हमारा कार्य नहीं चल सकता । हिन्दी की पुस्तकें लिख कर और हिन्दी बोल कर भारत के अधिकाँश भाग को निश्चय ही लाभ हो सकता है। यदि हम देश में बंगला और अंग्रेजी जाननेवालों की संख्या का पता चलाएँ, तो हमें साफ प्रकट हो जाएगा कि वह कितनी न्यून है। जो सज्जन हिन्दी भाषा द्वारा भारत में एकता पैदा करना चाहते हैं, वे निश्चय ही भारतबन्धु हैं । हम सब को संगठित हो कर इस ध्येय की प्राप्ति के लिए प्रयास करना चाहिए । भले ही इस को पाने में अधिक समय लगे, परन्तु हमें सफलता अवश्य मिलेगी ।

- बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय
[ राष्ट्रभाषा का इतिहास ]

 

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