देवनागरी ध्वनिशास्त्र की दृष्टि से अत्यंत वैज्ञानिक लिपि है। - रविशंकर शुक्ल।
 

फिर उठा तलवार (काव्य)

Author: रांगेय राघव

एक नंगा वृद्ध
जिसका नाम लेकर मुक्त
होने को उठा मिल हिंद
कांपते थे सिन्धु औ' साम्राज्य
सिर झुकाते थे सितमगर त्रस्त
आज वह है बंद
मेरे देश हिन्दुस्तान
बर्बर आ रहा है जापान
जागो जिन्दगी की शान

अरे हिन्दी
कौन कहता है कि तू है रुद्ध
कर न पायेगा भयंकर युद्ध
युद्ध ही है आज सत्ता
आज जीवन ।

देश
संगठन कर
जातियों की लहर मिलकर
तू भयानक सिंधु,
राष्ट्र रक्षा के लिए जो धीर
फ़िर उठाले आज
संस्कृति की पुरानी लाज से
भीगी हुई तलवार ।

-रांगेय राघव

 

 

 

Back

 
Post Comment
 
 
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश