वही भाषा जीवित और जाग्रत रह सकती है जो जनता का ठीक-ठीक प्रतिनिधित्व कर सके। - पीर मुहम्मद मूनिस।
 

आरती शर्मा की क्षणिकाएँ (काव्य)

Author: आरती शर्मा

याद आई माँ
ना आई पाती
कहाँ मैं जाती?

- आरती शर्मा

#

दुख तेरे तेरे
सुख मेरे मेरे
रिश्ते मिले हैं
ऐसे बहुतेरे।

- आरती शर्मा

 

Back

 
Post Comment
 
 
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश