समाज और राष्ट्र की भावनाओं को परिमार्जित करने वाला साहित्य ही सच्चा साहित्य है। - जनार्दनप्रसाद झा 'द्विज'।
 

नैराश्य गीत | हास्य कविता (काव्य)

Author: कवि चोंच

कार लेकर क्या करूँगा?
तंग उनकी है गली वह, साइकिल भी जा न पाती ।
फिर भला मै कार को बेकार लेकर क्या करूँगा?


आपने जो लेख भेजा, मैं उसे लौटा रहा हूँ ।
मानियेगा मत बुरा, कतवार लेकर क्या करूँगा?


जब मुझे तज श्रीमतीजी, आज है नैहर पधारी ।
बाप, माँ, भाई, बहिन, परिवार लेकर क्या करूंगा?


छप सकी-मेरी अभी तक एक भी कविता न जिसमें,
मैं भला ऐसा सड़ा अखबार लेकर क्या करूँगा?


मैं जनाना हूँ नहीं, दो ऊँट के मुँह में न जीरा,
ये सड़े लड् डू कहो दो चार लेकर क्या करूँगा?


-बद्रीप्रसाद पांडेय 'चोंच'
[चोंच महाकाव्य]

कवि चोंच 'हंस' उपनाम से भी प्रकाशित होते रहे हैं।

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