वही भाषा जीवित और जाग्रत रह सकती है जो जनता का ठीक-ठीक प्रतिनिधित्व कर सके। - पीर मुहम्मद मूनिस।
 

ये दुनिया तुम को रास आए तो कहना | ग़ज़ल (काव्य)

Author: जावेद अख्तर

ये दुनिया तुम को रास आए तो कहना
न सर पत्थर से टकराए तो कहना

ये गुल काग़ज़ हैं ये ज़ेवर हैं पीतल
समझ में जब ये आ जाए तो कहना

बहुत ख़ुश हो कि उस ने कुछ कहा है
न कह कर वो मुकर जाए तो कहना

बदल जाओगे तुम ग़म सुन के मेरे
कभी दिल ग़म से घबराए तो कहना

धुआँ जो कुछ घरों से उठ रहा है
न पूरे शहर पर छाए तो कहना

-जावेद अख्तर

 

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