मजहब को यह मौका न मिलना चाहिए कि वह हमारे साहित्यिक, सामाजिक, सभी क्षेत्रों में टाँग अड़ाए। - राहुल सांकृत्यायन।
 

व्यौहार राजेन्द्र सिंहा  (विविध)

Author: भारत-दर्शन

व्यौहार राजेन्द्र सिंह / सिंहा (Beohar Rajendra Simha) का जन्म 14 सितंबर, 1900 को जबलपुर में हुआ था। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्थापित करवाने के लिए काका कालेलकर, मैथिलीशरण गुप्त, हजारी प्रसाद द्विवेदी, सेठ गोविन्द दास के साथ व्यौहार राजेन्द्र सिंह ने काफी प्रयास किए। इसके चलते उन्होंने दक्षिण भारत की कई यात्राएं भी कीं। व्यौहार राजेन्द्र सिंह हिंदी साहित्य सम्मलेन के अध्यक्ष रहे। आपने अमेरिका में आयोजित विश्व सर्वधर्म सम्मलेन में भारत का प्रतिनिधित्व किया जहां सर्वधर्म सभा में हिंदी में ही भाषण दिया जिसकी बहुत प्रशंसा हुई। संस्कृत, बांग्ला, मराठी, गुजराती, मलयालम, उर्दू, अंग्रेज़ी आदि पर आपका अच्छा अधिकार था।

2 मार्च, 1988 को आपका निधन हो गया।

 

हिंदी दिवस का इतिहास और पृष्ठभूमि 

हर वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। 14 सितंबर, 1949 को संविधान सभा ने एक मत से यह निर्णय लिया कि हिंदी ही भारत की राजभाषा होगी। इस निर्णय के महत्व को प्रतिपादित करने और हिंदी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिए 1953 से भारत में 14 सितंबर को हर वर्ष हिंदी दिवस मनाया जाता है। हिंदी को यह दर्जा इतना आसानी से नहीं मिल गया। इसके लिए लंबी लड़ाई चली थी, जिसमें व्यौहार राजेंद्र सिंह ने अहम भूमिका निभाई थी। अंतत: व्यौहार राजेंद्र सिंह के 50वें जन्मदिवस अर्थात 14 सितंबर, 1949 को हिंदी को भारत की राजभाषा का दर्जा मिला।

[भारत-दर्शन]

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