Important Links
लोमड़ी और अंगूर (बाल-साहित्य ) |
Author: भारत-दर्शन संकलन
एक बार एक लोमड़ी इधर-उधर भटकती हुई एक बाग में जा पहुँची। बाग में फैली अंगूर की बेल अंगूरों से लड़ी हुई थी। उस पर पके हुए अंगूरों के गुच्छे लटक रहे थे। पके अंगूरों को देखकर लोमड़ी के मुँह में पानी आ गया।
अंगूरों के गुच्छे ऊँचाई पर थे और लोमड़ी उन तक पहुँच नहीं पा रही थी। लोमड़ी अंगूरों के गुच्छों तक पहुँचने की कोशिश करने लगी। उसने कई बार छलांगें लगायी लेकिन पूरा जोर लगाने पर भी वह अंगूरों तक नहीं पहुँच सकी। वह अंगूर का एक दाना भी नहीं पा सकी।
अब लोमड़ी उछल-उछलकर थक गई और उसे विश्वास हो गया कि वह अंगूरों तक नहीं पहुँच सकती। तब वह बाग से बाहर निकाल आई। दूसरे जानवरों ने उसे कहते सुना, "ये अंगूर खट्टे हैं। इन्हें खाकर मैं बीमार पड़ सकती हूँ, इसलिए मैं इन्हें नहीं खाऊँगी।"
[भारत-दर्शन संकलन]