भारत-दर्शन::इंटरनेट पर विश्व की सबसे पहली ऑनलाइन हिंदी साहित्यिक पत्रिका
जो दीप बुझ गए हैंउनका दु:ख सहना क्या,जो दीप, जलाओगे तुमउनका कहना क्या,
सुधि की हथेलियों परचिंतित माथा न धरो,जो दीप जल रहे हैंअब उनकी बात करो ।
-दुष्यंत कुमार
amp-form
इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें