देखो इन्नू बाबू आये आँखों में काजल फैलाये
मिट्टी पानी कीचड़ खेला, कुरता कैसा गंदा मैला अम्मा ने जो डांट बताई, खड़े हुये हैं मुँह लटकाये दुध देखते खुश हो जाते, मीठा ना हो तो चिल्लाते चीख पड़ेंगे डर जायेंगे अगर कहीं बन्दर दिख जाये रंग-बिरंगी पुस्तक लाकर पढ़ने बैठे ध्यान लगा कर ऐ बी छी दी कहते धीरे, माँ ने जो देखा शरमाये लकड़ी का छोटा सा घोड़ा, कमरे भर में उसको दौड़ा सारे दिन करते शैतानी, अम्मा को होती हैरानी लेकिन इनकी तुतली बोली, सुन, माँ का जी खुश हो जाये
- सुशान्ता कुमारी सिनहा [1944 के बाल साहित्य से] |