उर्दू जबान ब्रजभाषा से निकली है। - मुहम्मद हुसैन 'आजाद'।
 

बहरे या गहरे

 (काव्य) 
 
रचनाकार:

 अशोक चक्रधर | Ashok Chakradhar

अचानक तुम्हारे पीछे
कोई कुत्ता भोंके,
तो क्या तुम रह सकते हो
बिना चोंके?

अगर रह सकते हो
तो या तो तुम बहरे हो,
या फिर बहुत गहरे हो!

- अशोक चक्रधर
[सोची-समझी, प्रतिभा प्रतिष्ठान, नई दिल्ली]

 

Back
 
Post Comment
 
Type a word in English and press SPACE to transliterate.
Press CTRL+G to switch between English and the Hindi language.
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश