मजहब को यह मौका न मिलना चाहिए कि वह हमारे साहित्यिक, सामाजिक, सभी क्षेत्रों में टाँग अड़ाए। - राहुल सांकृत्यायन।
 

नेहरू-स्मृति-गीत | बाल-दिवस कविता

 (बाल-साहित्य ) 
 
रचनाकार:

 भारत-दर्शन संकलन | Collections

जन्म-दिवस पर नेहरू चाचा, याद तुम्हारी आई।
भारत माँ के रखवारे थे, हम सब बच्चों के प्यारे थे,
दया-प्रेम मन मे धारे थे।
बचपन प्रमुदित हुआ नेह से, जाग उठी तरुणाई।
जन्म दिवस पर नेहरू चाचा याद तुम्हारी आई।

सारी दुनिया का दुख मन में, रहे संजोए तुम जीवन में,
पूजित हुए तभी जन-जन में।
दिशा दिशा में मनुज-प्रेम के धवल कीर्ति है छाई।
जन्म दिवस पर नेहरू चाचा, याद तुम्हारी आई।

तुम हर एक प्रश्न का हल थे, बड़े सहज थे, बड़े सरल थे,
शान्ति-दूत अविकल अविचल थे।
विश्व-वाटिका के गुलाब थे, सुरभि अलौकिक पाई।
जन्म-दिवस पर नेहरू चाचा, याद तुम्हारी आई।

यद्पि हुए तुम प्रभु को प्यारे, किन्तु सदा ही पास हमारे,
सम्मुख हैं आदर्श तुम्हारे।
उन पर चल कर करें देश दुनिया की खूब भलाई ।
जन्म दिवस पर नेहरू चाचा, याद हम्हारी आई ।

-प्रेमदा शर्मा
[भारत-दर्शन संकलन]

#

'बाल-दिवस' पर विशेष-सामग्री पढ़िए।

बाल कविताएं पढ़ने के लिए बाल-काव्य पृष्ठ देखें।

बाल कथाएं व बाल कहानियाँ पढ़ने के लिए बाल-कहानी पृष्ठ देखें।

Back
 
Post Comment
 
Type a word in English and press SPACE to transliterate.
Press CTRL+G to switch between English and the Hindi language.
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश