उर्दू जबान ब्रजभाषा से निकली है। - मुहम्मद हुसैन 'आजाद'।
 

गांधी का हिंदी प्रेम

 (कथा-कहानी) 
 
रचनाकार:

 भारत-दर्शन संकलन | Collections

महात्मा गांधी की मातृभाषा यद्यपि गुजराती थी तथापि वे भारतीय स्वतंत्रता-संग्राम में जनसंपर्क हेतु हिन्दी को ही सर्वाधिक उपयुक्त भाषा मानते थे।

सन् 1917 ई. में कलकत्ता के कांग्रेस अधिवेशन के अवसर पर राष्ट्रभाषा प्रचार संबंध कांफ्रेन्स में तिलक ने अपना भाषण अंग्रेज़ी में दिया था जिसे सुनने के बाद गांधीजी ने कहा था -

''बस इसलिए मैं कहता हूं कि हिन्दी सीखनें की आवश्यकता है। मैं ऐसा कोई कारण नहीं समझता कि हम अपने देशवासियों के साथ अपनी भाषा में बात न करें। वास्तव में अपने लोगों के दिलों तक तो हम अपनी भाषा के द्वारा ही पहुंच सकते हैं।''

महात्मा गांधी किसी भाषा के विरोधी नहीं थे। अधिक से अधिक भाषाओं को सीखना वह उचित मानते थे। प्रत्येक भाषा के ज्ञान को वह महत्वपूर्ण मानते थे किंतु उन्होंने निज मातृभाषा और हिन्दी का सदैव सबल समर्थन किया।

#

साभार - बड़ों की बड़ी बात
पुन: संपादन - भारत-दर्शन

 

Back
 
Post Comment
 
Type a word in English and press SPACE to transliterate.
Press CTRL+G to switch between English and the Hindi language.
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश