उर्दू जबान ब्रजभाषा से निकली है। - मुहम्मद हुसैन 'आजाद'।
 

बचकर रहना इस दुनिया के लोगों की परछाई से

 (काव्य) 
 
रचनाकार:

 विजय कुमार सिंघल

बचकर रहना इस दुनिया के लोगों की परछाई से
इस दुनिया के लोग बना लेते हैं परबत राई से।

सबसे ये कहते थे फिरते थे मोती लेकर लौटेंगे
मिट्टी लेकर लोटे हैं हम सागर की गहराई से।

नाहक सोच रहे हो तुमपर असर ना होगा औरों का
चाँद भी काला पड़ जाता है धरती की परछाई से।

इससे ज्यादा वक्त बुरा क्या गुजरेगा इंसानों पर
नेक काम करने वाले भी डरते हैं रुसवाई से।

फूल जो तुमने फेंक दिए दरिया में उनकी मत पूछो
पत्थर थर-थर काँप रहे हैं दरिया की अँगड़ाई से।

तुमको आगे बढ़ना है तो बहता पानी बन जाओ
ठहरा पानी ढक जाता है इक दिन अपनी काई से।

-विजय कुमार सिंघल


#

 

Back
 
Post Comment
 
Type a word in English and press SPACE to transliterate.
Press CTRL+G to switch between English and the Hindi language.
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश