मजहब को यह मौका न मिलना चाहिए कि वह हमारे साहित्यिक, सामाजिक, सभी क्षेत्रों में टाँग अड़ाए। - राहुल सांकृत्यायन।
 

तीन कवयित्रियां

 (काव्य) 
 
रचनाकार:

 काका हाथरसी | Kaka Hathrasi

कवि सम्मेलन के मंच पर कल रात,
तीन कवयित्रियां कर रहीं थी बात।

पहली बोली :
"हमारे विवाह में दिल्ली बैंड आया था।"

दूसरी ने कहा :
"मेरी शादी में आगरा बैंड आया था।"

तीसरी कुमारी मुस्काई :
"मेरी मैरिज में तो 'हसबैंड' आयेगा।"

-काका हाथरसी

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