मजहब को यह मौका न मिलना चाहिए कि वह हमारे साहित्यिक, सामाजिक, सभी क्षेत्रों में टाँग अड़ाए। - राहुल सांकृत्यायन।
 

पहले जनाब कोई...

 (काव्य) 
 
रचनाकार:

 अदम गोंडवी

पहले जनाब कोई शिगूफ़ा उछाल दो
फिर कर का बोझ क़ौम की गर्दन पर डाल दो

रिश्वत को हक़ समझ के जहाँ ले रहे हों लोग
है और कोई मुल्क तो उसकी मिसाल दो

औरत तुम्हारे पाँव की जूती की तरह है
जब बोरियत महसूस हो घर से निकाल दो

चीनी नहीं है घर में लो मेहमान आ गए
महँगाई की भट्ठी में शराफ़त उबाल दो

- अदम गोंडवी


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