रिश्ते
रिश्ते निभाने के लिए कहाँ कसमें खानी पड़ती हैं कहाँ शर्तें रखनी पड़ती हैं भारी। रिश्तों में होनी चाहिए बस, ईमानदारी, विश्वास और समझदारी।
वजह
यादों की मीनार बनकर मरने-बिछुड़ने पर भी संबंधों को नहीं खोते हैं। जो जिंदगी जीने की वजह बन जाते हैं कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं।
दोस्ती
दोस्ती बड़ी नहीं होती है निभानेवाला बड़ा होता है, दोस्ती कर, नहीं निभा सकनेवाला हमेशा चौराहे पर रोता है।
राज
आँसुओं के निकलने का भी अपना एक अलग अंदाज है कब खुशी में निकलें और कब गम में बहें यही तो एक गहरा राज है।
- डॉ रमेश पोखरियाल 'निशंक' |