मजहब को यह मौका न मिलना चाहिए कि वह हमारे साहित्यिक, सामाजिक, सभी क्षेत्रों में टाँग अड़ाए। - राहुल सांकृत्यायन।
 
रमेश पोखरियाल 'निशंक' की क्षणिकाएँ (काव्य)       
Author:डॉ रमेश पोखरियाल निशंक

रिश्ते

रिश्ते निभाने के लिए
कहाँ कसमें खानी पड़ती हैं
कहाँ शर्तें रखनी पड़ती
हैं भारी ।
रिश्तों में होनी चाहिए
बस, ईमानदारी, विश्वास
और समझदारी।

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दोस्ती

दोस्ती बड़ी नहीं होती है
निभानेवाला बड़ा होता है,
दोस्ती कर, नहीं निभा सकनेवाला
हमेशा चौराहे पर रोता है।

#

वजह

यादों की मीनार बनकर
मरने-बिछुड़ने पर भी
संबंधों को नहीं खोते हैं।
जो जिंदगी जीने की
वजह बन जाते हैं
कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं।

- रमेश पोखरियाल 'निशंक'

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