साहित्य की उन्नति के लिए सभाओं और पुस्तकालयों की अत्यंत आवश्यकता है। - महामहो. पं. सकलनारायण शर्मा।
 
तेरे भीतर अगर नदी होगी | ग़ज़ल (काव्य)       
Author:शैल चतुर्वेदी | Shail Chaturwedi

तेरे भीतर अगर नदी होगी
तो समंदर से दोस्ती होगी

कोई खिड़की अगर खुली होगी
तो खयालों में ताज़गी होगी

भीड़ में जिसको भूल बैठा है
याद कर तेरी जिंदगी होगी

दिल को जलने दे और जलने दे
आग होगी तो रोशनी होगी

लोग आपस में प्यार बाँटेंगे
'शैल' वो कौन-सी सदी होगी

-शैल चतुर्वेदी

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