शिक्षा के प्रसार के लिए नागरी लिपि का सर्वत्र प्रचार आवश्यक है। - शिवप्रसाद सितारेहिंद।
 
चलो कहीं पर घूमा जाए | गीत (काव्य)       
Author:आनन्द विश्वास (Anand Vishvas)

चलो कहीं पर घूमा जाए,
थोड़ा मन हल्का हो जाए।
सबके, अपने-अपने ग़म हैं,
किस ग़म को कम आँका जाए।

अनहोनी को, होना होता,
पागल मन को कौन बताए।
आँखों में सागर छलका है,
खारा जल बहता ही जाए।

कैसे पल हैं, भीगी पलकें,
गीली आँखें, कौन सुखाए।
कहाँ गए हैं, जाने वाले,
चलो किसी से पूछा जाए।

आना-जाना नियम सृष्टि का,
गए हुए को कौन बुलाए।
तुम तो चले गए निर्मोही,
बीता कल मन भुला न पाए।

-आनन्द विश्वास
 ईमेल: anandvishvas@gmail.com

Back
 
 
Post Comment
 
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश