जो साहित्य केवल स्वप्नलोक की ओर ले जाये, वास्तविक जीवन को उपकृत करने में असमर्थ हो, वह नितांत महत्वहीन है। - (डॉ.) काशीप्रसाद जायसवाल।
 
अचूक जवाब (विविध)       
Author:भारतेन्दु हरिश्चन्द्र | Bharatendu Harishchandra

एक अमीर से किसी फकीर ने पैसा मांगा। उस अमीर ने फकीर से कहा, "तुम पैसों के बदले लोगों से लियाकत चाहते तो कैसे लायक आदमी हो गये होते।"

फकीर चटपट बोला, "मैं जिसके पास जो कुछ देखता हूँ, वही उससे मांगता हूँ।"

- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र

 

 

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