उर्दू जबान ब्रजभाषा से निकली है। - मुहम्मद हुसैन 'आजाद'।
 
यशपाल जयंती | 3 दिसम्बर
   
 

देश के स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाने वाले क्रांतिकारी, साहित्यकार एवं लेखक यशपाल का जन्म 3 दिसम्बर, 1903 को फ़िरोजपुर छावनी में हुआ था। इनके पूर्वज कांगड़ा ज़िले के निवासी थे और इनके पिता हीरालाल को विरासत के रूप में दो-चार सौ गज़ तथा एक कच्चे मकान के अतिरिक्त और कुछ नहीं प्राप्त हुआ था। आरंभिक शिक्षा स्थानीय स्कूल में और उच्च शिक्षा लाहौर में पाई।

प्रस्तुत है क्रांतिकारी लेखक यशपाल की कुछ रचनाएं।

 

 
करवा का व्रत - यशपाल | Karva Ka Vrat
कन्हैयालाल अपने दफ्तर के हमजोलियों और मित्रों से दो तीन बरस बड़ा ही था, परन्तु ब्याह उसका उन लोगों के बाद हुआ। उसके बहुत अनुरोध करने पर भी साहब ने उसे ब्याह के लिए सप्ताह-भर से अधिक छुट्टी न दी थी। लौटा तो उसके अन्तरंग मित्रों ने भी उससे वही प्रश्न पूछे जो प्रायः ऐसे अवसर पर दूसरों से पूछे जाते हैं और फिर वही परामर्श उसे दिये गये जो अनुभवी लोग नवविवाहितों को दिया करते हैं।

दुःख का अधिकार | यशपाल की कहानी
मनुष्यों की पोशाकें उन्हें विभिन्न श्रेणियों में बाँट देती हैं। प्रायः पोशाक ही समाज में मनुष्य का अधिकार और उसका दर्जा निश्चित करती है। वह हमारे लिए अनेक बंद दरवाजे खोल देती है, परंतु कभी ऐसी भी परिस्थिति आ जाती है कि हम जरा नीचे झुककर समाज की निचली श्रेणियों की अनुभूति को समझना चाहते हैं। उस समय यह पोशाक ही बंधन और अड़चन बन जाती है। जैसे वायु की लहरें कटी हुई पतंग को सहसा भूमि पर नहीं गिर जाने देतीं, उसी तरह खास परिस्थितियों में हमारी पोशाक हमें झुक सकने से रोके रहती है।

 
 
 

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