बहुत बरसों तक यह चर्चा-परिचर्चा चलती रही है कि एवरेस्ट की चोटी पर पहला क़दम किसका था?
अटलबिहारी वाजपेयी की एक कविता है 'पहचान।' शायद उस कविता में भी इसी प्रसंग पर प्रश्न किया गया है:
"हिमालय की चोटी पर पहुंच, एवरेस्ट-विजय की पताका फहरा, कोई विजेता यदि ईर्ष्या से दग्ध अपने साथी से विश्वासघात करे, तो उसका क्या अपराध इसलिए क्षम्य हो जाएगा कि वह एवरेस्ट की ऊंचाई पर हुआ था? नहीं, अपराध अपराध ही रहेगा, हिमालय की सारी धवलता उस कालिमा को नहीं ढ़क सकती। कपड़ों की दुधिया सफेदी जैसे मन की मलिनता को नहीं छिपा सकती।"
हिलेरी इस विषय में क्या कहते थे?
आपका कदम 8850 मीटर ऊँचे एवरेस्ट पर किसी मानव का पहला कदम था, इसकी पुष्टि स्वयं तेनज़िंग ने भी की थी परन्तु फिर भी कुछ शेरपा ऐसा क्यों कहते हैं कि एवरेस्ट पर पहला कदम आपने नहीं शेरपा तेनज़िंग ने रखा था?
"इसका यदि कोई कारण था तो राजनैतिक कारण था। काठमाँडू में कुछ लोग यह चाहते थे कि तेनज़िंग को एवरेस्ट पर पहुँचने वाला पहला व्यक्ति होना चाहिए था। बहुत वर्षों तक हम (हिलेरी और तेनज़िंग) इस बात पर सहमत थे कि हम यही कहेंगे कि हम दोनों लगभग एक साथ ही एवरेस्ट पर पहुँचे थे। परन्तु तेनज़िंग की मृत्यु के बाद मैनें जो हुआ था उसे बताने का निर्णय लिया। मैं तेनज़िंग से कुछ कदम आगे था परन्तु यह कहना कि मैं उससे पहले एवरेस्ट पर पहुँचा बड़ा कठिन है।"
कुछ कदमों के अंतर को लेकर कौन पहले पहुँचा के मुद्दे को हिलेरी महत्व नहीं देते। कुछ क्षण रुक कर वे कहते हैं, "एवरेस्ट के शिखर पर हम एक दल के रुप में पहुंचे।"
- रोहित कुमार 'हैप्पी' *लेखक इंटरनेट पर न्यूज़ीलैंड से प्रकाशित हिंदी पत्रिका, 'भारत-दर्शन' के संपादक हैं। |