भारतेंदु और द्विवेदी ने हिंदी की जड़ पाताल तक पहुँचा दी है; उसे उखाड़ने का जो दुस्साहस करेगा वह निश्चय ही भूकंपध्वस्त होगा।' - शिवपूजन सहाय।
 
चाचा नेहरू | बाल कविता
 
 

वह मोती का लाल जवाहर,
‍‌अपने युग का वह नरनाहर ।
भोली भाली मुस्कानों पर,
करता था सर्वस्व निछावर ।

वह बच्चों का प्यारा चाचा,
उनका हित सोचा करता था ।
बड़े चाव से बच्चों के संग,
बच्चा बन खेला करता था ।

सौंप दिया नन्हें बच्चों को,
अपना जन्म दिवस भी उसने ।
प्यार दिखाने को बच्चों को,
युक्त ख़ूब यह सोची उसने ।

-डा राणा प्रताप सिंह 'राणा'
[मीठे बोल]

 

 
 
 
 
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