वही भाषा जीवित और जाग्रत रह सकती है जो जनता का ठीक-ठीक प्रतिनिधित्व कर सके। - पीर मुहम्मद मूनिस।
 
लोगे मोल? | कविता
 
 

लोगे मोल?
लोगे मोल?
यहाँ नहीं लज्जा का योग
भीख माँगने का है रोग
पेट बेचते हैं हम लोग
लोगे मोल?
लोगे मोल?

बेचेंगे हम सेवाग्राम
सस्ता है गांधी का नाम
रघुपति राघव राजाराम
लोगे मोल?
लोगे मोल?

आज़ादी के नोचे बाल
संविधान की खींची खाल
बेशर्मी की गढ़ ली ढाल

लोगे मोल?

लोगे मोल?


साभार - हज़ार हज़ार बाँहों वाली

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नागार्जुन की कविता

Poem by Nagarjuna

 
 
 
 
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