भारतेंदु और द्विवेदी ने हिंदी की जड़ पाताल तक पहुँचा दी है; उसे उखाड़ने का जो दुस्साहस करेगा वह निश्चय ही भूकंपध्वस्त होगा।' - शिवपूजन सहाय।
 
एनजेक डे | प्रथम विश्वयुद्ध (1914-18)
 
 

एनजेक डे

एनजेक डे वर्ष की 25 अप्रैल को पड़ता है। यह दिन युद्ध में शहीद हुए बहादुर सैनिकों व युद्ध से जीवित लौट आए सैनिकों के सम्मान में मनाया जाता है।

25 अप्रैल 1915 को न्यूज़ीलैंड व ऑस्ट्रेलिया की संयुक्त सेनाएं (एनजेक) गैलिपोली पेंसूला पहुंची थीं।


प्रथम विश्वयुद्ध (1914-18)

ऍनजैक डे जो कि 25 अप्रैल को पड़ता है, उस दिन की समृति दिलाता है जब न्यूज़ीलैंड व ऑस्ट्रेलिया की सैन्य टुकड़ियों ने 1915 में गैलिपोली (टर्की) में अपने कदम रखे थे। न्यूज़ीलैंड व ऑस्ट्रेलिया के लोग उन बहादुरों को याद करते हैं जिन्होंने अपने देश के लिए युद्ध किया था व जिन्होंने इस लड़ाई में अपना जीवन न्योछावर कर दिया था।

युद्ध के सेवानिवृत्त सैनिक व उनके परिवार के लोग इस दिन एक प्रातःकालीन समृति-सभा के आयोजन के पश्चात् एक शांति पद-यात्रा में भाग लेते हैं।

यदि न्यूजीलैंड की जनसंख्या की प्रति व्यक्ति दर के आधार पर देखा जाए तो न्यूजीलैंड ने किसी भी अन्य देश की तुलना में प्रथम विश्व युद्ध में लड़ने के लिए सर्वाधिक सैनिक भेजे थे। मारे गए लोगों में से लगभग एक तिहाई लोगों को अनाम कब्रों में आधी दुनिया दूर दफनाया गया। युद्ध के पश्चात् ऑकलैंड युद्ध स्मारक संग्रहालय (Auckland War Memorial Museum) का निर्माण किया गया। संग्रहालय के 1929 में खुला और युद्ध में लड़ने वाले व मारे गए सैनिकों के सम्मान हेतु एक प्रतीकात्मक स्थल बन गया।

 
 
 
 
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