Author's Collection
Total Number Of Record :3रिसती यादें
दोस्तों के साथ बिताए लम्हों की
याद दिलाते
कई चित्र आज भी
पुरानी सी. डी. में धूल के नीचे
मात खाकर
दराज़ के किसी कोने में
चुप-चाप सोये हुए हैं।
दबी यादें हवा के झोंकों के साथ
मस्तिष्क तक आकर रुक जातीं,
...
तेरी हैवानियत
हैवानियत तेरी
भूखी थी इतनी
एक ही दम में
निगल ली
हरेक अच्छाई मेरी
मेरा स्नेह, मेरी ममता
मेरी कोमलता, मेरे स्वप्न
मेरा अक्स...
रोम रोम में बसा है
तेरे पुरुषत्व पर, तेरे नाज़ का हरेक निशान
दीवारों से टकरा कर
...
आम आदमी तो हम भी हैं
नहीं आती हँसी अब हर बात पर
लेकिन ये मत समझना कि मुझे कोई दर्द या ग़म है
बस नहीं आती हँसी अब
हर बात पर
अगर हँस दें, कहीं तुम ये न समझ बैठो
कि मैं खुश हूँ अपनी हालात पर नहीं तो ठहाके लगाना हमें भी आता है
हाँ, तकलीफ़ बहुत हैं
...