Warning: session_start(): open(/tmp/sess_8c105d8150f9918ee3754f60b2dec38a, O_RDWR) failed: No such file or directory (2) in /home/bharatdarshanco/public_html/child_lit_details_amp.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /tmp) in /home/bharatdarshanco/public_html/child_lit_details_amp.php on line 1
 मेरी अभिलाषा | कविता | Hindi Poem by Anita Barar
भारत की सारी प्रांतीय भाषाओं का दर्जा समान है। - रविशंकर शुक्ल।
 
मेरी अभिलाषा | कविता  (काव्य)     
Author:अनिता बरार | ऑस्ट्रेलिया

चाहती हूँ आज देना, प्यार का उपहार जग को।।

मुग्ध सपनों के जगत से माँग मैं अरमान लायी,
भावनाओ के भवन से साथ मधु के गान लायी।

कंठ से कल कोकिला के मैं मधुर संगीत लेकर
विश्व में मधुमास की मधुमय चपल मुस्कान लेकर।

चाहती हूँ मैं क्षितिज के पार का संसार देखूँ,
शब्द पर आरूढ़ होकर शून्य का आधार देखूँ।

रात दिन जलती धधकती भूख से जिनकी चितायें,
धूल से हैं धूसरित जिनकी सुकोमल भावनायें।

नग्न तन हैं राह पर जो आज अपने कर फैलाये,
शापमय जीवन, उबर चिर शांति का वरदान पाये।

चाहती हूँ उनकी सुनाना मैं करुण चित्कार जग को।
चाहती हूँ आज देना, प्यार का उपहार जग को।।

- अनिता बरार, ऑस्ट्रेलिया
  ई-मेल: anita.barar@gmail.com

 

Previous Page  | Index Page  |   Next Page
 
 
Post Comment
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश