देहात का विरला ही कोई मुसलमान प्रचलित उर्दू भाषा के दस प्रतिशत शब्दों को समझ पाता है। - साँवलिया बिहारीलाल वर्मा।
 

नया ‘वाद’ (काव्य)

Author: निशिकांत

एक साहित्य गोष्ठी में
जितने थे
सब किसी न किसी ‘वाद' के
वादी ‘थे'।
गोष्टी खत्म हुई
तो एक ने पूछा,
"जो सबसे ज्यादा बोले
वह कौन थे?"
दूसरे ने धीरे से कहा,
वह इलाहावादी थे !"


- निशिकांत [गुदगुदी]

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