Warning: session_start(): open(/tmp/sess_47cb82379d2b23c9fec0da697b90af83, O_RDWR) failed: No such file or directory (2) in /home/bharatdarshanco/public_html/article_details_amp.php on line 2

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /tmp) in /home/bharatdarshanco/public_html/article_details_amp.php on line 2
 जन्म-दिवस | Hindi poem by Vandana Bhardwaj
हिंदी जाननेवाला व्यक्ति देश के किसी कोने में जाकर अपना काम चला लेता है। - देवव्रत शास्त्री।
 

जन्म-दिवस पर... (काव्य)

Author: वंदना भारद्वाज

वो हर बरस आता है और मेरी उम्र का दर खटखटाता है
मैं घबरा कर उठती हूँ, उफ्फ तुम!
वो मुझसे नज़रें मिलता है, मैं झुका लेती हूँ अपनी नज़रें।

मैं बुझे से मन से उसे आने को कहती हूँ,

-कहो कैसी हो? क्या किया बरस भर?

वो मेरे हर पल, हर दिन का हिसाब माँगता है,
मैं अपराधी की भाँति नज़रें झुकाए बैठी रहती हूँ,

वो मुझसे बहुत नाराज़ होता है।

मैं हर बार की तरह झूठे वादे करती हूँ,

- तुम अगले बरस आओगे, मझे...

यूँ न पाओगे।

-वंदना भारद्वाज

 

Back

 
Post Comment
 
 
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश