अहिंदी भाषा-भाषी प्रांतों के लोग भी सरलता से टूटी-फूटी हिंदी बोलकर अपना काम चला लेते हैं। - अनंतशयनम् आयंगार।
 

भारत न रह सकेगा ... (काव्य)

Author: शहीद रामप्रसाद बिस्मिल

भारत न रह सकेगा हरगिज गुलामख़ाना।
आज़ाद होगा, होगा, आता है वह जमाना।।

खूं खौलने लगा है हिन्दुस्तानियों का।
कर देंगे ज़ालिमों का हम बन्द जुल्म ढाना।।

कौमी तिरंगे झंडे पर जां निसार अपनी।
हिन्दू, मसीह, मुसलिम गाते हैं यह तराना।।

अब भेड़ और बकरी बन कर न हम रहेंगे।
इस पस्त हिम्मती का होगा कहीं ठिकाना।।

परवाह अब किसे है जेल ओ दमन की प्यारों।
इक खेल हो रहा है फाँसी पै झूल जाना।।

भारत वतन हमारा भारत के हम हैं बच्चे।
भारत के वास्ते है मंजूर सिर कटाना।

-शहीद रामप्रसाद बिस्मिल

Back

 
Post Comment
 
 
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश