हिंदी चिरकाल से ऐसी भाषा रही है जिसने मात्र विदेशी होने के कारण किसी शब्द का बहिष्कार नहीं किया। - राजेंद्रप्रसाद।
 

चंद्रधर शर्मा 'गुलेरी' के बारे में क्या आप जानते हैं? (विविध)

Author: रोहित कुमार 'हैप्पी'

7 जुलाई को हिंदी साहित्य को 'उसने कहा था' जैसी कालजयी कहानी देने वाले पं. श्रीचंद्रधर शर्मा 'गुलेरी' की जयंती है। गुलेरी की केवल तीन कहानियाँ ही प्रसिद्ध है जिनमें 'उसने कहा था' के अतिरिक्त 'सुखमय जीवन' व 'बुद्धू का कांटा' सम्मिलित हैं। गुलेरी के निबंध भी प्रसिद्ध हैं लेकिन गुलेरी ने कई लघु-कथाएं और कविताएं भी लिखी हैं जिससे अधिकतर पाठक अनभिज्ञ हैं। पिछले कुछ दशकों में गुलेरी का अधिकतर साहित्य प्रकाश में आ चुका है लेकिन यह कहना गलत न होगा कि अभी भी उनकी बहुत सी रचनाएं अप्राप्य हैं। यहाँ गुलेरी जी के पौत्र डॉ विद्याधर गुलेरी, गुलेरी के एक अन्य संबंधी डॉ पीयूष गुलेरी व डॉ मनोहरलाल के शोध व अथक प्रयासों से शेष अधिकांश गुलेरी-साहित्य हमारे सामने है।

जैनेन्द्र ने एक बार गुलेरी के विषय में कहा था, "पं० चंद्रधर शर्मा गुलेरी विलक्षण विद्वान थे। उनकी प्रतिभा बहुमुखी थी। उनमें गज़ब की ज़िंदादिली थी। और, उनकी शैली भी अनोखी थी। गुलेरी जी न केवल विद्वत्ता में अपने समकालीन साहित्यकारों से ऊँचे ठहरते थे, अपितु एक दृष्टि से वह प्रेमचंद से भी ऊँचे साहित्यकार हैं। प्रेमचंद ने समसामयिक स्थितियों का चित्रण तो बहुत बढ़िया किया है, पर व्यक्ति-मानस के चितेरे के रूप में गुलेरी का जोड़ नहीं है।"

गुलेरीजी के बारे में कुछ तथ्य:

  • गुलेरीजी अपनी केवल एक कहानी, 'उसने कहा था' के दम पर हिंदी साहित्य के नक्षत्र बन गए।
  • गुलेरीजी ने केवल तीन कहानियां नहीं लिखी थी बल्कि 1900 से 1922 तक प्रचुर साहित्य सृजन किया तथा अनेक हिंदी लेखकों का मार्गदर्शन भी किया।
  • गुलेरीजी पहले कवि तत्पश्चात् निबंधकार व कथाकार हैं। आपकी ब्रज कविताओं का रचनाकाल जनवरी, 1902 है।
  • आप नौ-दस वर्ष की आयु में मातृभाषा की भांति संस्कृत में धाराप्रवाह वार्तालाप करते थे। दस वर्ष की आयु में बालक गुलेरी ने संस्कृत में भाषण देकर 'भारत धर्म महामण्डल' को अचंभित कर दिया था।
  • गुलेरीजी ने केवल उनतालीस वर्ष, दो महीने और पांच दिन का जीवन पाया। वे 7 जुलाई 1883 को जन्में और 12 सितम्बर 1922 को आपका देहांत हो गया।
  • गुलेरीजी ने चंद्रधर, चंद्रधर शर्मा तथा चंद्रधर शर्मा 'गुलेरी' के अतिरिक्त भी कई अन्य नामों से लेखन किया जिनमें 'चिट्ठीवाला, एक चिट्ठीवाला, अनाम, कण्ठा, शब्द कौस्तुभ का कण्ठा, एक ब्राह्मण, समलोचक, प्रतिनिधि, बी०ए०, स्पष्टवक्ता, जिमक्कड़, विवेचक, ललन, घरघूमनदादा इत्यादि सम्मिलित हैं।
  • 'ॐ नमों शिवाय:' गुलेरी का प्रिय मंत्र था।
  • आपने अनेक कविताएं, निबंध, लघु-कथाएं लिखी हैं और इसके अतिरिक्त अनुवाद भी किए।

 

प्रस्तुति: रोहित कुमार 'हैप्पी'

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