कवि संमेलन हिंदी प्रचार के बहुत उपयोगी साधन हैं। - श्रीनारायण चतुर्वेदी।
 

पिंकी (काव्य)

Author: बाबू लाल सैनी

एक विरोधी पक्ष के नेता गाँव में पधारे,
और,
भीड़ इक्ट्ठी कर मंच से दहाड़े,
भाइयो और बहनों-
पिछली बार दूसरी पार्टी वाले सत्ता में आ गए,
और देश के नदी-नाले सब बेच कर खा गए.
इस बार हमें मौका दीजिए,
और देखिए-
महंगाई और भ्रष्टाचार का नाश होगा,
गाँव मे फिर से विकास होगा।

इस पर एक औरत उठ कर चिल्लाई-
इसका भरोसा मत करना भाई।
कथनी और करनी मे बहुत फर्क है इनकी,
ये पिछली बार भी बोले थे विकास होगा-
और हो गई पिंकी !

- बाबू लाल सैनी
ई-मेल: sainibl96@gmail.com

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