हिंदी चिरकाल से ऐसी भाषा रही है जिसने मात्र विदेशी होने के कारण किसी शब्द का बहिष्कार नहीं किया। - राजेंद्रप्रसाद।
 

रिश्ते, पड़ोस, दोस्त (काव्य)

Author: उर्मिलेश

रिश्ते, पड़ोस, दोस्त, ज़मीं सबसे कट गए
फिर यूँ हुआ कि लोग यहाँ खुद से कट गए

सारे ही मौसमों में निभाते थे सबका साथ
वो सायादार पेड़ यहाँ जड़ से कट गए।

अब पैसा पास में है तो झंझट भी हैं कई
तब मुफ़लिसी के दिन भी मुहब्बत से कट गए

सच तो यही है उनको कोई पूछता नहीं
वो रास्ते जो अपनी ही मंज़िल से कट गए

पढ़-लिखके वो नौकर भी हुए घर भी फिर बसे
अब उसके बेटे उसके ही आँगन से कट गए।

सबकी ही सूरतों में निकाला जिन्होंने नुक्स
दर्पण दिखा तो अपनी ही सूरत से कट गए

कोई न कोई बात तो होगी ज़रूर दोस्त
तुम हमसे और हम भी यहाँ तुमसे कट गए

-उर्मिलेश

 

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