हिंदी चिरकाल से ऐसी भाषा रही है जिसने मात्र विदेशी होने के कारण किसी शब्द का बहिष्कार नहीं किया। - राजेंद्रप्रसाद।
 
छाता | ऐतिहासिक लघुकथा (विविध)     
Author:रोहित कुमार 'हैप्पी'

पदांग (Padang), सिंगापुर, 1943

नेताजी सुभाषचंद्र बोस की सभा है। दूर-दूर तक मैदान में जन-सैलाब दिखाई पड़ता है, लोग ही लोग!    नेता जी का भाषण शुरू हो गया और कुछ देर में ज़ोर-ज़ोर से बारिश होने लगी। कुछ लोग छाता लेकर मंच पर नेताजी की ओर भागते हुए आए। पहले आने वाले ने ज्यों ही छाता खोलकर उनके ऊपर करना चाहा, नेता जी ने उन्हें धीरे से धकेलते हुए, मनाही कर कर दी, “क्या तुम सब लोगों पर छाता तान सकते हो?” 

छाता लेकर आए युवक ने 'न' के अंदाज में सिर हिलाते हुए, छाता बंद करके अपने स्थान की ओर प्रस्थान किया।    

बारिश और तेज़ हो गई थी। नेता जी का भाषण बहुत लंबा था लेकिन वे अविचलित किसी चट्टान की भांति डटे हुए थे और क्या मजाल कि भीड़ में से कोई इंच भर भी हिला हो! ऐसे थे नेता जी और उनके अनुयायी! 

-रोहित कुमार 'हैप्पी'

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