जिस देश को अपनी भाषा और अपने साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है, वह उन्नत नहीं हो सकता। - देशरत्न डॉ. राजेन्द्रप्रसाद।
 
मैं ज्ञान का दीपक जलाए रखूंगा  (विविध)     
Author:रोहित कुमार 'हैप्पी'

डॉ कलाम बहुमुखी प्रतिभा के स्वामी थे। उन्होंने कविता भी की है:

"अचानक एक फूल मेरे सिर पर गिरा
और बोला -
ओ सपने बुनने वाले
ईश्वर की तलाश क्यों?
वह हर कहीं है
जीवन उसका आशीर्वाद है
प्रकृति से प्रेम करो और उसके सभी जीवों का
ध्यान रखो
तुम हर जगह ईश्वर को पाओगे।"

डॉ० कलाम का लिखा हुआ गीत भी बहुत चर्चा में रहा है:

"भारत के युवा नागरिक होने के नाते
प्रौद्योगिकी, ज्ञान और देश-प्रेम से युक्त
मैं महसूस करता हूं कि छोटा लक्ष्य अपराध है ।

मैं एक महान अंतर्दृष्टि के लिए कार्य करूंगा और पसीना बहाऊंगा
देश को एक विकसित राष्ट्र में रूपांतरित करने की अंतर्दृष्टि के लिए
जो मूल्य-प्रणाली के साथ आर्थिक शक्ति से युक्त हो ।

मैं भारत के एक अरब नागरिकों में से हूं
केवल अंतर्दृष्टि ही अरबों आत्माओं को प्रज्वलित करेगी ।

वह मेरे अंदर प्रवेश कर चुकी है
किसी भी संसाधन की अपेक्षा तेजस्वी आत्मा
सबसे सशक्त संसाधन है धरती पर,
धरती के ऊपर तथा धरती के नीचे
मैं ज्ञान का दीपक जलाए रखूंगा
ताकि विकसित भारत का लक्ष्य प्राप्त हो सके ।"

गीत की पंक्तियां कितनी सत्य हैं, 'मैं ज्ञान का दीपक जलाए रखूंगा...' डॉ० कलाम ने सचमुच अपनी अंतिम सांस तक ज्ञान का दीपक जलाए रखा। अब यह हमारा कर्तव्य है कि हम डॉ० कलाम के द्वारा प्रज्ज्वलित किए गए इस 'ज्ञान के दीपक' को सदैव प्रज्ज्वलित किए रखें।

- रोहित कुमार 'हैप्पी'

 

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