Warning: session_start(): open(/tmp/sess_9052c0c09fd6a7c3e46f830a308588eb, O_RDWR) failed: No such file or directory (2) in /home/bharatdarshanco/public_html/child_article_details_amp.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /tmp) in /home/bharatdarshanco/public_html/child_article_details_amp.php on line 1
 गिलहरी | अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
हिंदी जाननेवाला व्यक्ति देश के किसी कोने में जाकर अपना काम चला लेता है। - देवव्रत शास्त्री।
 
गिलहरी  (बाल-साहित्य )     
Author:अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध'

कहते जिसे गिलहरी हैं सब ।
सभी निराले उसके हैं ढब ॥

पेड़ों से नीचे है आती ।
फिर पेड़ों पर है चढ़ जाती ॥

कुतर कुुतर फल को है खाती ।
बच्चों को है दूध पिलाती ॥

उसकी रंगत भूरी कारी ।
आँंखों को लगती है प्यारी ॥

होती है यह इतनी चंचल ।
कहीं नहीं इसको पड़ती कल ॥

उछल कूद में है यह जैसी ।
दौड धूप में भी है वैसी ॥

बैठी इस धरती के ऊपर ।
दोनों हाथों में कुछ ले कर ।।

जब वह जल्दी से है खाती ।
तब है कैसी भली दिखाती ॥

चिकना चिकना रोआँ इसका ।
लुभा नहीं लेता जी किसका ।।

मत तुम इसको ढेले मारो ।
जा पूरा इतना बात बचा ॥

कहीं इसे जो लग जावेगा ।
तो इसका जी दुःख पावेगा ॥

अब तक सब ने है यह माना ।
जी का अच्छा नहीं दुखाना ॥

- अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध'

Previous Page  |  Index Page  |   Next Page
 
 
Post Comment
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश