Warning: session_start(): open(/tmp/sess_81f990595066c5dc40ef75200eb157c3, O_RDWR) failed: No such file or directory (2) in /home/bharatdarshanco/public_html/child_article_details_amp.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /tmp) in /home/bharatdarshanco/public_html/child_article_details_amp.php on line 1
 युग-पुरुष बापू अमर हो | गांधी जी पर कविता | Hindi poem on Gandhi ji by Sumitra Kumari Sinha
भारत की सारी प्रांतीय भाषाओं का दर्जा समान है। - रविशंकर शुक्ल।
 
युग-पुरुष बापू अमर हो (काव्य)     
Author:सुमित्रा कुमारी सिन्हा

पृष्ठ में इतिहास के नव जोड़कर अध्याय सुंदर,
सत्य, मैत्री औ' अहिंसा का पढ़ाया पाठ हितकर,
नाश-निशि पर हे तपस्वी! सृजन के उज्जवल प्रहर हो।
युग-पुरुष बापू अमर हो।

सूर्य सम चरखा लिए तुम कर रहे आलोक प्रसरित,
मनुजता पर विश्व-पशुता को किया तुमने पराजित,
शुन्य मरुस्थल में प्रवाहित अमृत जीवन की लहर हो,
युग-पुरुष बापू अमर हो।

नग्न रहकर नग्नता के पाश को तुम तोड़ते हो,
कोटि जन के, एक इंगित पर दिशा-पथ मोड़ते हो,
आज हिंसा के प्रलय में शांति के तुमु मुखर स्वर हो।
युग-पुरुष बापू अमर हो।

मिट रही है प्राण रेखा देश की, तुम आज बोलो!
देख कर भावी मनुज की मनश्लोचन आज खोलो!
तिमिर का यह गर्त तो ज्योति से परिपूर्ण घर हो।
युग-पुरुष बापू अमर हो।

- सुमित्रा कुमारी सिन्हा


*सुमित्रा कुमारी सिन्हा हिंदी की लोकप्रिय कवयित्री तथा लेखिका थीं। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के फ़ैज़ाबाद जिले में हुआ। स्वाधीनता आंदोलन में उनका सक्रिय योगदान रहा। कवि-सम्मेलनों में मधुर कंठ से कविता पाठ करने वाली सुमित्रा कुमारी सिन्हा आकाशवाणी लखनऊ से जुड़ीं रहीं। आपने बाल साहित्य के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण काम किया है।

Previous Page  |  Index Page  |   Next Page
 
 
Post Comment
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश