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 मेरे इस दिल में.. | ग़ज़ल
हिंदी जाननेवाला व्यक्ति देश के किसी कोने में जाकर अपना काम चला लेता है। - देवव्रत शास्त्री।
 

मेरे इस दिल में.. | ग़ज़ल

 (काव्य) 
 
रचनाकार:

 कुँअर बेचैन

मेरे इस दिल में क्या है क्या नहीं है
अभी तक मैंने ये सोचा नहीं है

कथा आँसू की चलती ही रहेगी
ये एक-दो रोज का किस्सा नही है

सभी रिश्तो में यह मत सोचियेगा
कि ये ऐसा है, ये वैसा नही है

किसी के ग़म में जो डूबा हुआ है
वो हँसता है मगर हँसता नही है

मैं यूं तो रोज तुझको देखता हूँ
तुझे लेकिन अभी देखा नही है

मोहब्बत हो कि जीवन का सफर हो
कहाँ अब ऐ 'कुंअर' धोखा नही है

-कुँअर बेचैन

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