हिंदी भाषा को भारतीय जनता तथा संपूर्ण मानवता के लिये बहुत बड़ा उत्तरदायित्व सँभालना है। - सुनीतिकुमार चाटुर्ज्या।
 

धरती मैया | ग़ज़ल

 (काव्य) 
 
रचनाकार:

 राजगोपाल सिंह

धरती मैया जैसी माँ
सच पुरवैया जैसी माँ
 
पापा चरखी की डोरी
इक कनकैया जैसी माँ

तूफ़ानों में लगती है
सबको नैया जैसी माँ

बाज़ सरीखे सब नाते
इक गौरैया जैसी माँ

-राजगोपाल सिंह

 

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