नागरी प्रचार देश उन्नति का द्वार है। - गोपाललाल खत्री।
 

हास्य काव्य

भारतीय काव्य में रसों की संख्या नौ ही मानी गई है जिनमें से हास्य रस (Hasya Ras) प्रमुख रस है जैसे जिह्वा के आस्वाद के छह रस प्रसिद्ध हैं उसी प्रकार हृदय के आस्वाद के नौ रस प्रसिद्ध हैं - श्रृंगार रस (रति भाव), हास्य रस (हास), करुण रस (शोक), रौद्र रस (क्रोध), वीर रस (उत्साह), भयानक रस (भय), वीभत्स रस (घृणा, जुगुप्सा), अद्भुत रस (आश्चर्य), शांत रस (निर्वेद)।

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बेरोज़गार मित्र का जवाब - शैल चतुर्वेदी | Shail Chaturwedi

हास्य, बेरोज़गार मित्र का जवाब, शैल चतुर्वेदी की हास्य कविता, Hasya Kavita,Shail Chaturvedi

 
दायरा | हास्य कविता - नेहा शर्मा

एक बुढ्ढे को बुढ़ापे में इश्क का बुखार चढ़ गया
बुढिया को जीन्स-टॉप पहनाकर बीयर बार में ले गया
बोला, आज की पीढ़ी ऐसे ही रोमांस करती है
तू भी पी ले बीयर थोड़ा कम चढ़ती है।

 
पैरोडीदास का गीत - पैरोडीदास

सरल है बहुत चांद-सा मुख छिपाना, 
मगर चाँद सिर की छिपाना कठिन है।

 

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